à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ जà¥à¤žà¤¾à¤¨ परंपरा में शिकà¥à¤·à¤¾ का मà¥à¤–à¥à¤¯ उदà¥à¤¦à¥‡à¤¶à¥à¤¯ मनà¥à¤·à¥à¤¯ का सरà¥à¤µà¤¾à¤‚गीण विकास करना है। शरीर, मन, बà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿ और आतà¥à¤®à¤¾ से विकसित मनà¥à¤·à¥à¤¯ ही मनà¥à¤·à¥à¤¯à¤¤à¤¾ के गà¥à¤£à¥‹à¤‚ से ओतपà¥à¤°à¥‹à¤¤ होगा। मानव जीवन का उदà¥à¤¦à¥‡à¤¶à¥à¤¯ धरà¥à¤®, अरà¥à¤¥, काम और मोकà¥à¤· रूपी पà¥à¤°à¥à¤·à¤¾à¤°à¥à¤¥ की पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤à¤¿ है। योग के अधिगम का लकà¥à¤·à¥à¤¯ परम पà¥à¤°à¥à¤·à¤¾à¤°à¥à¤¥ मोकà¥à¤· की पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤à¤¿ है। मानव जीवन में अधिगम à¤à¤• सततॠचलने वाली पà¥à¤°à¤•à¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾ है। अधिगम से तातà¥à¤ªà¤°à¥à¤¯ सीखने से है। मानवीय गà¥à¤£à¥‹à¤‚ के अधिगम के बिना मनà¥à¤·à¥à¤¯ का निरà¥à¤®à¤¾à¤£ नहीं होता है। मनà¥à¤·à¥à¤¯ का देह धारण कर लेने मातà¥à¤° से विवेक की पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤à¤¿ नहीं होती है। विवेक आतà¥à¤®à¤œà¥à¤žà¤¾à¤¨ से पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ होता है। आतà¥à¤®à¤¾ का जà¥à¤žà¤¾à¤¨ होने के पशà¥à¤šà¤¾à¤¤à¥ ही मनà¥à¤·à¥à¤¯ विवेकवान होता है। विवेकशील मनà¥à¤·à¥à¤¯ ही सब में अपने को और सबको अपने में देखने की दृषà¥à¤Ÿà¤¿ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ करता है। देखने की यह दृषà¥à¤Ÿà¤¿ आतà¥à¤®à¤¦à¤°à¥à¤¶à¤¨ के पशà¥à¤šà¤¾à¤¤à¥ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ होती है। अधà¥à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤® के जà¥à¤žà¤¾à¤¨ से जीवन के विषाद से मà¥à¤•à¥à¤¤à¤¿ मिलती है। दà¥à¤ƒà¤– की अतà¥à¤¯à¤§à¤¿à¤• निवृतà¥à¤¤à¤¿ ही मोकà¥à¤· है, जिसकी पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤à¤¿ योग के अधिगम से संà¤à¤µ है।
पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤à¥à¤¤ शोध पतà¥à¤° में गीता में योग के अधिगम के बारे में वरà¥à¤£à¤¨ किया गया है। जीवन में विषाद से मà¥à¤•à¥à¤¤à¤¿ अपने वासà¥à¤¤à¤µà¤¿à¤• सà¥à¤µà¤°à¥‚प के बोध के साथ ही संà¤à¤µ है। देहातà¥à¤® à¤à¤¾à¤µ से मà¥à¤•à¥à¤¤ होकर आतà¥à¤® à¤à¤¾à¤µ में पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤·à¥à¤ ित होना योग है। दृषà¥à¤Ÿà¤¾ का अपने सà¥à¤µà¤°à¥‚प का अधिगम योग का अà¤à¥€à¤·à¥à¤Ÿ है। यह योग विदà¥à¤¯à¤¾ ही दृषà¥à¤Ÿà¤¾ और दृशà¥à¤¯ के संयोग से उतà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ अविदà¥à¤¯à¤¾à¤œà¤¨à¤¿à¤¤ मानसिक कà¥à¤²à¥‡à¤¶à¥‹à¤‚ से मà¥à¤•à¥à¤¤à¤¿ दिलाती है। विदà¥à¤¯à¤¾ वह है जो मà¥à¤•à¥à¤¤à¤¿ दिलाà¤à¤‚ (सा विदà¥à¤¯à¤¾ या विमà¥à¤•à¥à¤¤à¤¯à¥‡)।