हितोपदेश में पशु-पक्षियों के व्यवहार के माध्यम से धर्म तथा उपदेश
कु॰ कमलेश
संस्कृत साहित्य में हितोपदेश के रचयिता नारायण पण्डित को महान् ख्याति प्राप्त है। इनकी हितोपदेश नाम की एक ही कृति प्राप्त होती है। नारायण पण्डित द्वारा विरचित हितोपदेश को कथा साहित्य के अन्तर्गत रखा गया है। इसमें हितोपदेशकार ने नीतिकथाओं और शिक्षाप्रद श्लोकों का वर्णन किया है। नारायण पण्डित ने इस ग्रन्थ में प्रत्येक शिक्षा का उपदेश पशु-पक्षियों के माध्यम से दिया है। यह भारत में ही नहीं अपितु सम्पूर्ण विश्व में कथाग्रन्थ के रूप में मान्य है। हितोपदेश के अनुशीलन से नीति शास्त्र का ज्ञान आसानी से हो जाता है। नारायण पण्डित जन्म से ही प्रखर बुद्धि वाले थे। इन्होंने हितोपदेश में अपनी सम्पूर्ण प्रतिभा को बिखेरा है। इन्होंने अपने शिरामाणि ग्रन्थ में पशु-पक्षियों आदि को पात्र बनाकर धर्म तथा उपदेश का ज्ञान दिया है।