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International Journal of Sanskrit Research
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2018, Vol. 4, Issue 4, Part A

वेदों में वर्णित सूर्य किरण चिकित्सा पद्धति

पूजा ठाकुर

वेद मानवजाति के लिए प्रकाश स्तम्भ एवं शक्ति स्रोत है। मनु ने कहा है कि-सर्वज्ञानमयो हि सः अर्थात् वेदों में सभी विद्याओं का भण्डार है। वेदों में आयुर्वेद अथवा चिकित्सा एक महत्त्वपूर्ण विषय है। ऋग्वेदादि चारों वेदों में आयुर्वैदिक तत्त्व सम्बन्धित सामग्री विभिन्न स्थानों पर प्राप्त होते है, इससे ज्ञात होता है कि आयुर्वेद प्राचीन या वैदिक काल से ही एक मुख्य विषय रहा है। अथर्ववेद में आथर्वणी, आंगिरसी, दैवी तथा मनुष्यजा चार प्रकार की चिकित्सा प्रकारों में दैवी चिकित्सा का अन्यतम स्थान है। दैवी चिकित्सा को प्राकृतिक चिकित्सा भी कहा जाता है। प्राकृतिक चिकित्सा में सूर्य का चिकित्सा अपना एक महत्वपूर्ण स्थान है। ऋग्वेद में सूर्य किरण चिकित्सा के विषय में कहा है कि प्रातः कालीन सूर्य किरणें हृदय रोग, पीलिया तथा रक्तल्पता आदि रोगों को समाप्त करती है। सूर्य न केवल रोगों को दूर करता है, अपितु रोग जनित कारणों को भी नष्ट करता है, सूर्य की किरणें रोग उत्पन्न करने वाले कीटाणुओं को भी नष्ट करती है तथा सर्प के विष का भी नाश करती है। प्रस्तुत पत्र में सूर्य किरण चिकित्सा द्वारा उपचारित विभिन्न रोगों के नाम भी दिये गए हैं।
Pages : 33-35 | 1881 Views | 242 Downloads
How to cite this article:
पूजा ठाकुर. वेदों में वर्णित सूर्य किरण चिकित्सा पद्धति. Int J Sanskrit Res 2018;4(4):33-35.

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