International Journal of Sanskrit Research
2018, Vol. 4, Issue 1, Part A
शà¥à¤°à¥€ अरविनà¥à¤¦ के आलोक में कावà¥à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤¾ और आधà¥à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤¿à¤• कविता का सà¥à¤µà¤°à¥‚प
डाॅ0 अरविनà¥à¤¦ कà¥à¤®à¤¾à¤° सिंह
शà¥à¤°à¥€ अरविनà¥à¤¦ का कावà¥à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤®-विमरà¥à¤¶ आधà¥à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤¿à¤• दृषà¥à¤Ÿà¤¿ से गà¥à¤°à¤¹à¤£ करने योगà¥à¤¯ है। आधà¥à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤¿à¤• दृषà¥à¤Ÿà¤¿ का पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤ªà¤¾à¤¦à¤¨ साहितà¥à¤¯ में केवल शà¥à¤°à¥€à¤…रविनà¥à¤¦ ने ही नहीं किया है बलà¥à¤•à¤¿ इनके अतिरिकà¥à¤¤ à¤à¥€ अनेक साहितà¥à¤¯à¤¿à¤• मनीषियों ने इस तŸव की पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤·à¥à¤ ा साहितà¥à¤¯ के माधà¥à¤¯à¤® से की है। मधà¥à¤¯ यà¥à¤— का समà¥à¤ªà¥‚रà¥à¤£ à¤à¤•à¥à¤¤à¤¿ साहितà¥à¤¯ आधà¥à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤¿à¤•à¤¤à¤¾ से ओत-पà¥à¤°à¥‹à¤¤ है। यदà¥à¤¯à¤ªà¤¿ वहाठयह आधà¥à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤¿à¤•à¤¤à¤¾ धारà¥à¤®à¤¿à¤• कलेवर के साथ अà¤à¤¿à¤µà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤ हà¥à¤ˆ है, किनà¥à¤¤à¥ जयदेव, सूरदास और आधà¥à¤¨à¤¿à¤• यà¥à¤— के महान कवि रविनà¥à¤¦à¥à¤°à¤¨à¤¾à¤¥ टैगोर के साहितà¥à¤¯ में इसे अपने शà¥à¤¦à¥à¤§ दारà¥à¤¶à¤¨à¤¿à¤• और आधà¥à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤¿à¤• रूप में देखा जा सकता है। शà¥à¤°à¥€ अरविनà¥à¤¦ सà¥à¤µà¤¯à¤‚ कवि, योगी और दारà¥à¤¶à¤¨à¤¿à¤• होने के कारण कावà¥à¤¯ की उचà¥à¤šà¤¸à¥à¤¤à¤°à¥€à¤¯ पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤à¤¾ से समà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ थे। जिसका वह आधà¥à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤¿à¤• और रहसà¥à¤¯à¤µà¤¾à¤¦à¥€ कावà¥à¤¯ के रूप में पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤ªà¤¾à¤¦à¤¨ करते हैं। कावà¥à¤¯ की आतà¥à¤®à¤¾ के रूप में इसी विमरà¥à¤¶ को शà¥à¤°à¥€ अरविनà¥à¤¦ की दृषà¥à¤Ÿà¤¿ से पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤à¥à¤¤ लेख में विवेचित करने का पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤¸ किया गया है।
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डाॅ0 अरविनà¥à¤¦ कà¥à¤®à¤¾à¤° सिंह. शà¥à¤°à¥€ अरविनà¥à¤¦ के आलोक में कावà¥à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤¾ और आधà¥à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤¿à¤• कविता का सà¥à¤µà¤°à¥‚प. Int J Sanskrit Res 2018;4(1):30-33.