International Journal of Sanskrit Research
2018, Vol. 4, Issue 1, Part A
मोकà¥à¤· पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤à¤¿ के निमितà¥à¤¤ करà¥à¤¤à¤µà¥à¤¯ (महाà¤à¤¾à¤°à¤¤ के परिपà¥à¤°à¥‡à¤•à¥à¤·à¥à¤¯ में)
पà¥à¤°à¥€à¤¤à¤¿ नेगी
मानव जीवन के सारà¥à¤¥à¤• à¤à¤µà¤‚ सरà¥à¤µà¤¾à¤‚गीण विकास हेतॠपà¥à¤°à¥à¤·à¤¾à¤°à¥à¤¥ चतà¥à¤·à¥à¤Ÿà¤¯ को पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¥‡à¤• वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ के लिठअनिवारà¥à¤¯ माना गया है। पà¥à¤°à¥à¤·à¤¾à¤°à¥à¤¥ चतà¥à¤·à¥à¤Ÿà¤¯ के दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¥‡à¤• वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ के अधिकार व करà¥à¤¤à¤µà¥à¤¯à¥‹à¤‚ का निरà¥à¤§à¤¾à¤°à¤£ होता है। पà¥à¤°à¥à¤·à¤¾à¤°à¥à¤¥ उस सारà¥à¤¥à¤• जीवनरूपी शकà¥à¤¤à¤¿ का दà¥à¤¯à¥‹à¤¤à¤• है जो वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ को सांसारिक सà¥à¤–ों का à¤à¥‹à¤— कराके सà¥à¤µà¤§à¤°à¥à¤®à¤ªà¤¾à¤²à¤¨ के माधà¥à¤¯à¤® से परमातà¥à¤®à¤¾ (मोकà¥à¤·) की पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤à¤¿ कराता है। पà¥à¤°à¥à¤·à¤¾à¤°à¥à¤¥ चतà¥à¤·à¥à¤Ÿà¤¯ के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° मोकà¥à¤· को मानव का अनà¥à¤¤à¤¿à¤® लकà¥à¤·à¥à¤¯ माना गया है। धरà¥à¤®à¤ªà¥‚रà¥à¤µà¤• अरà¥à¤¥ व काम को गà¥à¤°à¤¹à¤£ करने से मोकà¥à¤· सà¥à¤²à¤ हो जाता है तथा मोकà¥à¤· की पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤à¤¿ से मनà¥à¤·à¥à¤¯ कृतारà¥à¤¥ हो जाता है। महाà¤à¤¾à¤°à¤¤ में मोकà¥à¤· समà¥à¤¬à¤¨à¥à¤§à¥€ अनेक पà¥à¤°à¤¸à¤‚ग है, जिनके अनà¥à¤¸à¤¾à¤° मोकà¥à¤· सरà¥à¤µà¤¦à¤¾ अलौकिक सà¥à¤– और दिवà¥à¤¯ शानà¥à¤¤à¤¿ की विलकà¥à¤·à¤£ अवसà¥à¤¥à¤¾ है। महाà¤à¤¾à¤°à¤¤ में जà¥à¤žà¤¾à¤¨, à¤à¤•à¥à¤¤à¤¿, निषà¥à¤•à¤¾à¤® करà¥à¤®, धरà¥à¤® तथा वैरागà¥à¤¯ आदि को मोकà¥à¤· पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤à¤¿ के निमितà¥à¤¤ करà¥à¤¤à¤µà¥à¤¯ बताते हà¥à¤ कहा गया है कि इस जगत में वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ को मोकà¥à¤· पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤à¤¿ हेतॠनिरनà¥à¤¤à¤° पà¥à¤°à¤¯à¤¤à¥à¤¨à¤¶à¥€à¤² रहना चाहिà¤à¥¤
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पà¥à¤°à¥€à¤¤à¤¿ नेगी. मोकà¥à¤· पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤à¤¿ के निमितà¥à¤¤ करà¥à¤¤à¤µà¥à¤¯ (महाà¤à¤¾à¤°à¤¤ के परिपà¥à¤°à¥‡à¤•à¥à¤·à¥à¤¯ में). Int J Sanskrit Res 2018;4(1):05-07.