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International Journal of Sanskrit Research
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International Journal of Sanskrit Research

2018, Vol. 4, Issue 1, Part A

मोक्ष प्राप्ति के निमित्त कर्तव्य (महाभारत के परिप्रेक्ष्य में)

प्रीति नेगी

मानव जीवन के सार्थक एवं सर्वांगीण विकास हेतु पुरुषार्थ चतुष्टय को प्रत्येक व्यक्ति के लिए अनिवार्य माना गया है। पुरुषार्थ चतुष्टय के द्वारा प्रत्येक व्यक्ति के अधिकार व कर्तव्यों का निर्धारण होता है। पुरुषार्थ उस सार्थक जीवनरूपी शक्ति का द्योतक है जो व्यक्ति को सांसारिक सुखों का भोग कराके स्वधर्मपालन के माध्यम से परमात्मा (मोक्ष) की प्राप्ति कराता है। पुरुषार्थ चतुष्टय के अनुसार मोक्ष को मानव का अन्तिम लक्ष्य माना गया है। धर्मपूर्वक अर्थ व काम को ग्रहण करने से मोक्ष सुलभ हो जाता है तथा मोक्ष की प्राप्ति से मनुष्य कृतार्थ हो जाता है। महाभारत में मोक्ष सम्बन्धी अनेक प्रसंग है, जिनके अनुसार मोक्ष सर्वदा अलौकिक सुख और दिव्य शान्ति की विलक्षण अवस्था है। महाभारत में ज्ञान, भक्ति, निष्काम कर्म, धर्म तथा वैराग्य आदि को मोक्ष प्राप्ति के निमित्त कर्तव्य बताते हुए कहा गया है कि इस जगत में व्यक्ति को मोक्ष प्राप्ति हेतु निरन्तर प्रयत्नशील रहना चाहिए।
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How to cite this article:
प्रीति नेगी. मोक्ष प्राप्ति के निमित्त कर्तव्य (महाभारत के परिप्रेक्ष्य में). Int J Sanskrit Res 2018;4(1):05-07.

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