International Journal of Sanskrit Research
2017, Vol. 3, Issue 5, Part B
जà¥à¤¯à¥‹à¤¤à¤¿à¤°à¥à¤µà¤¿à¤œà¥à¤žà¤¾à¤¨ की दृषà¥à¤Ÿà¤¿ से हृदय रोग विमरà¥à¤¶
अà¤à¤¿à¤¨à¤µ तिवारी
हृदय मानव शरीर का अतà¥à¤¯à¤¨à¥à¤¤ महतà¥à¤¤à¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ अंग है। यह वकà¥à¤· के बायीं ओर दोनों फेफड़ों के मधà¥à¤¯ सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ होता है। इसका कारà¥à¤¯ मनà¥à¤·à¥à¤¯ के शरीर में रकà¥à¤¤ संचार करना है। हृदय के कारà¥à¤¯à¥‹à¤‚ में वà¥à¤¯à¤µà¤§à¤¾à¤¨ आने से हृदय के घातक रोग होते हैं। जà¥à¤¯à¥‹à¤¤à¤¿à¤· के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° जनà¥à¤®à¤¾à¤‚ग के चतà¥à¤°à¥à¤¥ à¤à¤¾à¤µ से हृदय का विचार किया जाता है, मतानà¥à¤¤à¤° से पंचम à¤à¤¾à¤µ को à¤à¥€ देखा जाता है। इसके अतिरिकà¥à¤¤ गà¥à¤°à¤¹à¥‹à¤‚ में सूरà¥à¤¯ को हृदय का कारक माना गया है। जिन लोगों को à¤à¥€ हृदय समà¥à¤¬à¤¨à¥à¤§à¥€ रोग होते हैं, उनमें से अधिकांश वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ का सूरà¥à¤¯ पाप पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µ में अवशà¥à¤¯ होता है।
How to cite this article:
अà¤à¤¿à¤¨à¤µ तिवारी. जà¥à¤¯à¥‹à¤¤à¤¿à¤°à¥à¤µà¤¿à¤œà¥à¤žà¤¾à¤¨ की दृषà¥à¤Ÿà¤¿ से हृदय रोग विमरà¥à¤¶. Int J Sanskrit Res 2017;3(5):87-89.