International Journal of Sanskrit Research
2017, Vol. 3, Issue 4, Part C
वालà¥à¤®à¥€à¤•ि-रामायण में रस निरूपण
विजय कà¥à¤®à¤¾à¤°
कावà¥à¤¯à¤¤à¤¤à¥à¤¤à¥à¤µà¥‹à¤‚ की दृषà¥à¤Ÿà¤¿ से वालà¥à¤®à¥€à¤•ि रामायण अदà¥à¤µà¤¿à¤¤à¥€à¤¯ महाकावà¥à¤¯ है। अतà¤à¤µ विदà¥à¤µà¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ ने इसे संसà¥à¤•ृत कावà¥à¤¯à¥‹à¤‚ की परिà¤à¤¾à¤·à¤¾ का आधार मानकर कतिपय लकà¥à¤·à¤£à¤—à¥à¤°à¤¨à¥à¤¥à¥‹à¤‚ का निरà¥à¤®à¤¾à¤£ किया है। महरà¥à¤·à¤¿ वालà¥à¤®à¥€à¤•ि ने à¤à¤¸à¥‡ समय में गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥-रचना की जब उनके समà¥à¤®à¥à¤– à¤à¤¸à¥€ कोई रचना नहीं थी, जो उनका पथ-पà¥à¤°à¤¦à¤°à¥à¤¶à¤• कर सके। पà¥à¤¨à¤°à¤ªà¤¿ उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने अपनी इस मौलिक कृति में पà¥à¤°à¤•ृति-चितà¥à¤°à¤£, संवाद-संयोजन, विषय पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤ªà¤¾à¤¦à¤¨ के साथ-साथ रस, अलंकारादि अनà¥à¤¯à¤¾à¤¨à¥à¤¯ कावà¥à¤¯à¥€à¤¯ तŸवों का यथा सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ वरà¥à¤£à¤¨ करके परवरà¥à¤¤à¥€ आचारà¥à¤¯à¥‹à¤‚ का मारà¥à¤— पà¥à¤°à¤¶à¤¸à¥à¤¤ किया है। कावà¥à¤¯ का परमारà¥à¤¥à¤¤à¤ƒ पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤œà¤¨ रसासà¥à¤µà¤¾à¤¦à¤®à¥‚लक आननà¥à¤¦à¤¾à¤¤à¤¿à¤¶à¤¯ माना गया है। वालà¥à¤®à¥€à¤•ि ने à¤à¥€ करà¥à¤£ रस रूपी आननà¥à¤¦ से पà¥à¤°à¥‡à¤°à¤¿à¤¤ होकर गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥ रचना की। यदà¥à¤¯à¤ªà¤¿ आलोचक इस गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥-रतà¥à¤¨ में करà¥à¤£ रस के पà¥à¤°à¤¾à¤§à¤¾à¤¨à¥à¤¯ को सà¥à¤µà¥€à¤•ारते हैं। लेकिन रस तŸव के सनà¥à¤¦à¤°à¥à¤ में वालà¥à¤®à¥€à¤•ि रामायण में वीरादि रसों के साथ पà¥à¤°à¤§à¤¾à¤¨à¤¤à¤ƒ करà¥à¤£ रस ही आदि से लेकर अनà¥à¤¤ तक सरà¥à¤µà¤¤à¥à¤° विदà¥à¤¯à¤®à¤¾à¤¨ है। पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤à¥à¤¤ शोध पतà¥à¤° को वालà¥à¤®à¥€à¤•ि रामायण में उपलबà¥à¤§ सà¤à¥€ रसों का अनà¥à¤µà¥‡à¤·à¤£ कर सहृदयों के समà¥à¤®à¥à¤– पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤à¥à¤¤ किया गया है।
How to cite this article:
विजय कà¥à¤®à¤¾à¤°. वालà¥à¤®à¥€à¤•ि-रामायण में रस निरूपण. Int J Sanskrit Res 2017;3(4):164-167.