शबà¥à¤¦ à¤à¤µà¤‚ अरà¥à¤¥ का आशà¥à¤°à¤¯ लेकर जो कावà¥à¤¯ की शोà¤à¤¾ का संवरà¥à¤§à¤¨ करते हैं हारादि के समान वे अनà¥à¤ªà¥à¤°à¤¾à¤¸ à¤à¤µà¤‚ उपमादि अलंकार कहे जाते हैं। जैसे अà¤à¤¿à¤°à¤¾à¤œà¤¯à¤¶à¥‹à¤à¥‚षणमॠके अलंकार पà¥à¤°à¤•à¤°à¤£ में कहा à¤à¥€ गया है कि
शबà¥à¤¦à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤¸à¤‚शà¥à¤°à¤¿à¤¤à¤¾ ये वै कावà¥à¤¯à¤¶à¥‹à¤à¤¾à¤‚ पà¥à¤°à¤¤à¤¨à¥à¤µà¤¤à¥‡à¥¤
हारादिवदलंकारासà¥à¤¤à¥‡à¤½à¤¨à¥à¤ªà¥à¤°à¤¾à¤¸à¥‹à¤ªà¤®à¤¾à¤¦à¤¯à¤ƒà¥¤à¥¤
उनमें à¤à¥€ शबà¥à¤¦ का आशà¥à¤°à¤¯ लेने वाले यमकादि शबà¥à¤¦à¤¾à¤²à¤‚कार हैं तथा उसी पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° अरà¥à¤¥à¤¾à¤¶à¥à¤°à¤¿à¤¤ उपमादि अरà¥à¤¥à¤¾à¤²à¤‚कार हैं। सरà¥à¤µà¤ªà¥à¤°à¤¥à¤® महामà¥à¤¨à¤¿ à¤à¤°à¤¤ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ चार ही अलंकारों का वरà¥à¤£à¤¨ मिलता है, परनà¥à¤¤à¥ आगे चलकर अपà¥à¤ªà¤¯ पà¥à¤°à¤£à¥€à¤¤ कà¥à¤µà¤²à¤¯à¤¾à¤¨à¤¨à¥à¤¦ में अलंकारों की संखà¥à¤¯à¤¾ सौ से à¤à¥€ अधिक हो गई। पहले à¤à¥€ यह अलंकार आचारà¥à¤¯à¤¾à¤‚े दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ अपनी रूचि à¤à¤µà¤‚ इचà¥à¤›à¤¾ के ही अनà¥à¤¸à¤¾à¤° विविध रूपों में कलà¥à¤ªà¤¿à¤¤ किये गये। ठीक उसी पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° आज à¤à¥€ ये अलंकार नये नये रूपों में कलà¥à¤ªà¤¿à¤¤ किये जा रहे हैं। जिससे अलंकारो के à¤à¥‡à¤¦à¥‹à¤ªà¤à¥‡à¤¦à¥‹à¤‚ में उतà¥à¤¤à¤°à¥‹à¤¤à¥à¤¤à¤° वृदà¥à¤§à¤¿ दिखाई पडती है। à¤à¤¾à¤®à¤¹, दणà¥à¤¡à¥€, रà¥à¤¦à¥à¤°à¤Ÿ, ममà¥à¤®à¤Ÿ, रà¥à¤¯à¥à¤¯à¤•, विशà¥à¤µà¤¨à¤¾à¤¥, जयदेव, अपà¥à¤ªà¤¯à¤¦à¥€à¤•à¥à¤·à¤¿à¤¤ तथा पणà¥à¤¡à¤¿à¤¤à¤°à¤¾à¤œ आदि के गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥à¥‹à¤‚ में इन अलंकारों का सरà¥à¤µà¤¸à¤®à¥à¤®à¤¤ विà¤à¤¾à¤œà¤¨ शबà¥à¤¦à¤¾à¤²à¤‚कार à¤à¤µà¤‚ अरà¥à¤¥à¤¾à¤²à¤‚कार के रूप में किया गया है। संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤ कावà¥à¤¯à¤¶à¤¾à¤¸à¥à¤¤à¥à¤° की परमà¥à¤ªà¤°à¤¾ में अरà¥à¤µà¤¾à¤šà¥€à¤¨ संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤ आचारà¥à¤¯à¥‹à¤‚ ने जिस पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° अलंकारों का विवेचन किया है वह सहृदयों को आननà¥à¤¦à¤¿à¤¤ करने वाला तथा नूतन पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤¸ है। इसी शृंखला में पà¥à¤°à¥‹. अà¤à¤¿à¤°à¤¾à¤œà¤°à¤¾à¤œà¥‡à¤¨à¥à¤¦à¥à¤° मिशà¥à¤° पà¥à¤°à¤£à¥€à¤¤ अà¤à¤¿à¤°à¤¾à¤œà¤¯à¤¶à¥‹à¤à¥‚षणमॠमें à¤à¥€ शबà¥à¤¦à¤¾à¤²à¤‚कार तथा अरà¥à¤¥à¤¾à¤²à¤‚कार इन दà¥à¤µà¤¿à¤µà¤¿à¤§ अलंकारों का विवेचन किया गया है।