International Journal of Sanskrit Research
2017, Vol. 3, Issue 3, Part D
वालà¥à¤®à¥€à¤•à¤¿ के साहितà¥à¤¯ में महिला की आरà¥à¤¥à¤¿à¤• सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿
शकà¥à¤¤à¤¿ पाणà¥à¤¡à¥‡à¤¯
यह शोध पतà¥à¤° आदिकवि वालà¥à¤®à¥€à¤•à¤¿ के आदिकावà¥à¤¯ रामायण में महिला की उचà¥à¤š आरà¥à¤¥à¤¿à¤• सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ का अमूलà¥à¤¯ सिंहावलोकन है। मानव समाज की पà¥à¤°à¤—ति गाथा पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤¨ काल से ही समà¥à¤ªà¤¤à¥à¤¤à¤¿ केनà¥à¤¦à¥à¤°à¤¿à¤¤ रही है। इसे विशà¥à¤µ के पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¥‡à¤• काल और à¤à¤¾à¤·à¤¾ के विदà¥à¤µà¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ ने अपने अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ की विषयवसà¥à¤¤à¥ से कà¤à¥€ à¤à¥€ ओà¤à¤² नहीं होने दिया। à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ संदरà¥à¤ के कवियों ने à¤à¥€ अपनी रचनाओं में इसे महतà¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ दिया है। à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ जीवन पदà¥à¤§à¤¤à¤¿ में ‘अरà¥à¤¥â€™ को ‘‘पà¥à¤°à¥‚षारà¥à¤¥ चतà¥à¤·à¥à¤Ÿà¥à¤¯â€™â€™ में समà¥à¤®à¤¿à¤²à¤¿à¤¤ कर à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ मनीषियों ने à¤à¤• कà¥à¤°à¤¾à¤‚ति का सूतà¥à¤°à¤ªà¤¾à¤¤ कर दिया। अरà¥à¤¥ जैसे सरà¥à¤µà¤¶à¥à¤°à¥‡à¤·à¥à¤ निरà¥à¤£à¤¾à¤¯à¤• तŸव के साथ नारी की सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ सदैव से अहम विवेचना बिनà¥à¤¦à¥ रही है। इस लेख के माधà¥à¤¯à¤® से तातà¥à¤•à¤¾à¤²à¥€à¤¨ समाज में महिला की आरà¥à¤¥à¤¿à¤• सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶à¤¿à¤¤ करने का पà¥à¤°à¤¯à¤¤à¥à¤¨ किया गया है।
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शकà¥à¤¤à¤¿ पाणà¥à¤¡à¥‡à¤¯. वालà¥à¤®à¥€à¤•à¤¿ के साहितà¥à¤¯ में महिला की आरà¥à¤¥à¤¿à¤• सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿. Int J Sanskrit Res 2017;3(3):199-201.