Contact: +91-9711224068
International Journal of Sanskrit Research
  • Printed Journal
  • Indexed Journal
  • Refereed Journal
  • Peer Reviewed Journal

Impact Factor (RJIF): 8.4

International Journal of Sanskrit Research

2017, Vol. 3, Issue 3, Part A

उत्तररामचरितम् में स्त्री पात्रों का अध्ययन

डाॅ. वेद प्रकाश मिश्र, शैलेष कुमार बारमते

उत्तररामचरितम् का कथानक वाल्मीकि रामायण के उत्तरकाण्ड से लिया गया है। अपनी कल्पना के प्रयोग से रामायण के इस चिर-परिचित कथानक को महाकवि ने अत्यंत सरल नाट्यकृति के रूप में रूपान्तरित किया है। संस्कृत साहित्य की विभिन्न परम्पराओं में नाट्य परंपरा अत्यधिक समृद्धशाली रही है लेकिन दुर्भाग्य की बात यह है कि संस्कृत के अनेक नाटक आज उपलब्ध नहीं हैं। विदेशी आक्रमणों के कारण संस्कृत साहित्य की अनेको रचनाएं विलुप्त हो गयी हैं।
लगभग 500 ई. पू. भरतमूनि ने नाट्य संम्बंधि लक्षणों की स्थापना की थी तभी से इस नाट्य परंपरा का समुचित इतिहास मिलता है। संस्कृत साहित्य में नाटकों की सजीव तथा अर्मूत परंपरा का अनुवर्तन महाकवि भास से होता है। भास के बाद कालिदास, के बाद भवभूति का समागम एक नाटककार के रूप में माना गया है। भवभूति संस्कृत साहित्य क मूर्धन्य कवियों में से एक हैं। महाकवि भवभूति प्राकृतिक तत्वों में मानवीय संवेदना को अभिव्यक्त करने वाले कवियों ने अद्वितीय नामक तीन नाटक लिखे हैं। निःसन्देह तीनों नाटक सर्वोवत्कृष्ट हैं। भवभूति के नाटकों में उत्तरामचरिम् सर्वाधिक प्रसिद्ध है। उत्तरामचरितम् भवभूति का अंतिम और सर्वोत्कृष्ट नाटक है। इसमें कुल सात अंक हैं।
Pages : 30-33 | 2374 Views | 978 Downloads
How to cite this article:
डाॅ. वेद प्रकाश मिश्र, शैलेष कुमार बारमते. उत्तररामचरितम् में स्त्री पात्रों का अध्ययन. Int J Sanskrit Res 2017;3(3):30-33.

Call for book chapter
International Journal of Sanskrit Research
Journals List Click Here Research Journals Research Journals
Please use another browser.