महाकवि भवभूति संस्कृत साहित्य के श्रेष्ठ कवि माने जाते हैैं। उन्होंने उत्तररामचरितम्, महावीर चरितम् एवं मालतीमाधव नामक तीन नाटक लिखे हैं। निःसंदेह तीन नाटक सर्वोत्कृष्ट है। उत्तररामचरितम् सर्वाधिक प्रसिद्ध नाटक है। यह महाकवि भवभूति का अकेला नाटक है जो महाकवि कालिदास के समक्ष लाकर खड़ा कर दिया है। महाकवि भवभूति ने अपने नाटकों में पात्रों के चयन पर विशेष ध्यान दिया है। नाटक के पात्र जितना सुन्दर सजीव एवं गुणी होगे नाटक उतना ही सफल सिद्ध होगा। नाटक के पात्रों के चारित्रिक विशेषता का एक प्रमुख महत्व होता है। नाटककार विभिन्न प्रकार के पात्रों के माध्यम से अपने युगीन जीवन का जीता - जागता चित्र अंकित करता है।
अतः नाटकों में चरित्र-चित्रण का महत्वपूर्ण स्थान है। भवभूति के नाटक उत्तररामचरितम् में पुरूष एवं स्त्री पात्रों का वर्णन प्राप्त हैं किन्तु मैंने अपने शोध का विषय उत्तररामचरितम् के पुरूष पात्र लिया है, जिसमें पुरूष पात्रों को दो भागों में विभाजित कर उनके विषय में वर्णन किया जायेगा।