International Journal of Sanskrit Research
2017, Vol. 3, Issue 2, Part C
कृतकरà¥à¤® के आधार पर पà¥à¤¨à¤°à¥à¤œà¤¨à¥à¤®-à¤à¤• वैदिक दृषà¥à¤Ÿà¤¿
राहà¥à¤² शरà¥à¤®à¤¾
सà¤à¥€ शासà¥à¤¤à¥à¤°à¤•à¤¾à¤°à¥‹ का यही निषà¥à¤•à¤°à¥à¤· है और सà¤à¥€ शासà¥à¤¤à¥à¤°à¥€à¤¯ विवेचक पà¥à¤¨à¤°à¥à¤œà¤¨à¥à¤® के समà¥à¤¬à¤¨à¥à¤§ में à¤à¤•à¤®à¤¤ हैं। जनà¥à¤® और मरण में अनà¥à¤¯à¥‹à¤¨à¥à¤¯ समà¥à¤¬à¤¨à¥à¤§ है अगर मृतà¥à¤¯à¥ हैैै तब जनà¥à¤® à¤à¥€ सà¥à¤µà¤¯à¤‚ सिदà¥à¤§ है। मृतà¥à¤¯à¥ सिदà¥à¤§ है तो जनà¥à¤® कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कर असिदà¥à¤§ हो सकता है। नितà¥à¤¯ चेतन जीवातà¥à¤®à¤¾ का विà¤à¤¿à¤¨à¤¨ योनियों को गà¥à¤°à¤¹à¤£ करने की पà¥à¤°à¤•à¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾ से पà¥à¤°à¤¾à¤¯à¤ƒ करà¥à¤®à¥‹à¤‚ पर धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ à¤à¤µà¤‚ चिंतन केनà¥à¤¦à¥à¤°à¤¿à¤¤ हो जाता है। वैदिक दरà¥à¤¶à¤¨ का यही मत रहा है कि जैसे करà¥à¤® किये जाते हैं वैसे ही संसà¥à¤•à¤¾à¤° या à¤à¤¾à¤µ बनते हैं, उनà¥à¤¹à¥€à¤‚ à¤à¤¾à¤µà¥‹à¤‚ के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° ही आगामी देह या शरीर पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ होता है। जिसे पà¥à¤¨à¤°à¥à¤œà¤¨à¥à¤® कहा जाता है।
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राहà¥à¤² शरà¥à¤®à¤¾. कृतकरà¥à¤® के आधार पर पà¥à¤¨à¤°à¥à¤œà¤¨à¥à¤®-à¤à¤• वैदिक दृषà¥à¤Ÿà¤¿. Int J Sanskrit Res 2017;3(2):119-121.