पुराणों का सम्बन्ध प्राचीन साहित्य से है महाभारत में इसी के भाव को व्यक्त किया गया है। आदिकाल से ही मनुष्य की सांसारिक सन्तापों, रोग, शोकादि एवं मानसिक दुःखों से छुटकारा पाने की प्रवृत्ति रही है। इसके लिए उसने अनेक प्रकार के उपायों का अन्वेषण करने का प्रयास किया। उनमें से नदी-पूजन तथा तीर्थ यात्रा की मान्यता एक लोकप्रिय दुःख निवारक उपाय है। भारत का अभिषेक करती हुई अनेक नदियाँ पर्वत-शिखरों के आँचलों से गिर कर मैदानों की ओर सदैव बहती रहती है। पुराणों में महाभारतकालीन नदियों एवं तीर्थों का वर्णन किया गया है।