वैदिक एवं लौकिक संस्कृतसाहित्य, पालिसाहित्य तथा हिन्दीसाहित्य पर संक्षेपेण दृष्टिवीक्षण करने पर यह साधुतया सिद्ध होता है कि मोक्षविषयक भारतीयविचारों की एक समृद्ध परम्परा रही है। जीवन एवं मोक्ष के विषय में भारतीयों की दृष्टि सन्तुलित है। जिसमें सत्य, सरलता, दया, सन्तोष, तपादि आचारव्यवस्था के साथ-साथ ज्ञानयोग, कर्मयोग तथा भक्तियोग का सांगोपांग समावेश किया गया है।