International Journal of Sanskrit Research
2016, Vol. 2, Issue 6, Part D
तिङनà¥à¤¤ à¤à¤µà¤‚ कृदनà¥à¤¤ कà¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾à¤ªà¤¦à¥‹à¤‚ में à¤à¤¾à¤µ (कà¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾) के à¤à¥‡à¤¦ का विवेचन
डाॅ॰ बà¥à¤°à¤œà¥‡à¤¨à¥à¤¦à¥à¤° कà¥à¤®à¤¾à¤°
शोधपतà¥à¤° का विवेचà¥à¤¯ विषय 'सारà¥à¤µà¤§à¤¾à¤¤à¥à¤•à¥‡ यकà¥' (अषà¥à¤Ÿà¤¾à¤§à¥à¤¯à¤¾à¤¯à¥€, 3-1-67) सूतà¥à¤° पर महाà¤à¤¾à¤·à¥à¤¯ में किया गया à¤à¤¾à¤µ अथवा कà¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾à¤µà¤¿à¤·à¤¯à¤• गवेषण है। तिङनà¥à¤¤ à¤à¤µà¤‚ कृदनà¥à¤¤ के रूप में पाणिनि ने दà¥à¤µà¤¿à¤µà¤¿à¤§ कà¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾à¤“ं का उपदेश किया है। इन दोनों पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° के पदों के दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ जिस à¤à¤¾à¤µ या कà¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾ का अरà¥à¤¥à¤¾à¤µà¤¬à¥‹à¤§ होता है उसमें सà¥à¤µà¤°à¥‚पतः कà¥à¤¯à¤¾ à¤à¥‡à¤¦ होता है? उसको समà¤à¤¨à¥‡ का विनमà¥à¤° पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤¸ किया गया है।
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डाॅ॰ बà¥à¤°à¤œà¥‡à¤¨à¥à¤¦à¥à¤° कà¥à¤®à¤¾à¤°. तिङनà¥à¤¤ à¤à¤µà¤‚ कृदनà¥à¤¤ कà¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾à¤ªà¤¦à¥‹à¤‚ में à¤à¤¾à¤µ (कà¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾) के à¤à¥‡à¤¦ का विवेचन. Int J Sanskrit Res 2016;2(6):194-197.