तिङन्त एवं कृदन्त क्रियापदों में भाव (क्रिया) के भेद का विवेचन
डाॅ॰ ब्रजेन्द्र कुमार
शोधपत्र का विवेच्य विषय 'सार्वधातुके यक्' (अष्टाध्यायी, 3-1-67) सूत्र पर महाभाष्य में किया गया भाव अथवा क्रियाविषयक गवेषण है। तिङन्त एवं कृदन्त के रूप में पाणिनि ने द्विविध क्रियाओं का उपदेश किया है। इन दोनों प्रकार के पदों के द्वारा जिस भाव या क्रिया का अर्थावबोध होता है उसमें स्वरूपतः क्या भेद होता है? उसको समझने का विनम्र प्रयास किया गया है।