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International Journal of Sanskrit Research
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International Journal of Sanskrit Research

2016, Vol. 2, Issue 6, Part C

सौन्दर्यशास्त्रीय तत्त्व- एक अध्ययन

उमेश पौडेल

सौन्दर्यशास्त्र संवेदनात्मक-भावात्मक गुण-धर्म और मूल्यों का अध्ययन है। कला, संस्कृति और प्रकृति का प्रतिअंकन ही सौन्दर्यशास्त्र है। सौन्दर्यशास्त्र वह शास्त्र है जिसमें कलात्मक कृतियों, रचनाओं आदि से अभिव्यक्त होने वाला अथवा उनमें निहित रहने वाले सौन्दर्य का तात्त्विक, दार्शनिक और मार्मिक विवेचन होता है। किसी सुन्दर वस्तु को देखकर या सुन्दर वस्तु के बारे में सुनकर हमारे मन में जो आनन्ददायिनी अनुभूति होती है वही सौन्दर्य है। उसी सौन्दर्य को किसी के जीवन की अन्यान्य अनुभूतियों के साथ उसका समन्वयrnस्थापित करना इस शास्त्र का मुख्य उद्देश्य होता है।
Pages : 115-118 | 3016 Views | 1850 Downloads


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How to cite this article:
उमेश पौडेल. सौन्दर्यशास्त्रीय तत्त्व- एक अध्ययन. Int J Sanskrit Res 2016;2(6):115-118.

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