भोजन बनाने या पकाने की क्रिया को पाक कहा जाता है एवं इसको शासित करने वाली विधा पाकशास्त्र कहलाती है। पाकशास्त्र का प्रादुर्भाव वैदिककाल से हो चुका था। आर्य पाक कला से भली-भांति परिचित थे, साथ ही आहार शुद्धि पर विशेष बल देते थे। पाकशास्त्र का ज्ञान होने के कारण ही उचित अन्न ग्रहण करने के विषय में सजग थे, क्योंकि अन्न द्वारा ही प्राणियों का निर्माण होता है- ‘‘अन्नाद् भवन्ति भूतानि।’’ भारतीय संस्कृति में प्रत्येक दिन हमें पवित्रावस्था में तथा उचित भोजन लेने के निर्देश मिलते हैं, क्योंकि संतुलित तथा स्वच्छ भोजन ही मन को निर्मल बनाता है तथा स्वास्थ्य संवर्धन में वृद्धि करता है।