International Journal of Sanskrit Research
2016, Vol. 2, Issue 5, Part B
राजà¥à¤¯ के सपà¥à¤¤à¤¾à¤‚ग सिदà¥à¤§à¤¾à¤¨à¥à¤¤
अà¤à¤¿à¤·à¥‡à¤• अगà¥à¤¨à¤¿à¤¹à¥‹à¤¤à¥à¤°à¥€
सà¤à¥€ पà¥à¤°à¤¾à¤£à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ का शरण-सà¥à¤¥à¤² राजधरà¥à¤® है, महाà¤à¤¾à¤°à¤¤ के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° राजधरà¥à¤® के सहारे ही जीवन के लकà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ की पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤à¤¿ समà¥à¤à¤µ होना बताया गया है-सरà¥à¤µà¥‡ धरà¥à¤®à¤¾ राजधरà¥à¤® पà¥à¤°à¤§à¤¾à¤¨à¤¾à¤ƒ सरà¥à¤µà¥‡ वरà¥à¤£à¤¾à¤ƒ पालà¥à¤¯à¤®à¤¾à¤¨à¤¾ à¤à¤µà¤¨à¥à¤¤à¤¿à¥¤ सरà¥à¤µà¤¸à¥à¤¤à¥à¤¯à¤¾à¤—ो राजधरà¥à¤®à¥‡à¤·à¥ राजसà¥à¤¤à¥à¤¯à¤¾à¤—ं धरà¥à¤®à¤‚ चाहà¥à¤°à¤—à¥à¤°à¤‚थ पà¥à¤°à¤¾à¤£à¤®à¥à¥¤à¥¤ (शानà¥à¤¤à¤¿ परà¥à¤µ-63.27) राजा राजधरà¥à¤® का पालन करते हà¥à¤ ही सृषà¥à¤Ÿà¤¿ को नियनà¥à¤¤à¥à¤°à¤¿à¤¤ करता है। राजा के कारà¥à¤¯à¥‹à¤‚ और उसके दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¿à¤¤ वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ पदà¥à¤§à¤¤à¤¿ के आधार पर सपà¥à¤¤à¤¾à¤‚गों का विवेचन किया गया है। राजà¥à¤¯ के यह सपà¥à¤¤à¤¾à¤‚ग उसके असà¥à¤¤à¤¿à¤¤à¥à¤µ के लिठआवशà¥à¤¯à¤• है। राजà¥à¤¯ के आधारà¤à¥‚त विकास के लिठइन सात अंगों का जà¥à¤žà¤¾à¤¨ अति आवशà¥à¤¯à¤• है। इस लेख में इनà¥à¤¹à¥€à¤‚ सपà¥à¤¤à¤¾à¤‚गों के महतà¥à¤µ का पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤ªà¤¾à¤¦à¤¨ किया गया है।
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अà¤à¤¿à¤·à¥‡à¤• अगà¥à¤¨à¤¿à¤¹à¥‹à¤¤à¥à¤°à¥€. राजà¥à¤¯ के सपà¥à¤¤à¤¾à¤‚ग सिदà¥à¤§à¤¾à¤¨à¥à¤¤. Int J Sanskrit Res 2016;2(5):80-84.