सभी प्राणियों का शरण-स्थल राजधर्म है, महाभारत के अनुसार राजधर्म के सहारे ही जीवन के लक्ष्यों की प्राप्ति सम्भव होना बताया गया है-सर्वे धर्मा राजधर्म प्रधानाः सर्वे वर्णाः पाल्यमाना भवन्ति। सर्वस्त्यागो राजधर्मेषु राजस्त्यागं धर्मं चाहुरग्रंथ पुराणम्।। (शान्ति पर्व-63.27) राजा राजधर्म का पालन करते हुए ही सृष्टि को नियन्त्रित करता है। राजा के कार्यों और उसके द्वारा स्थापित व्यवस्था पद्धति के आधार पर सप्तांगों का विवेचन किया गया है। राज्य के यह सप्तांग उसके अस्तित्व के लिए आवश्यक है। राज्य के आधारभूत विकास के लिए इन सात अंगों का ज्ञान अति आवश्यक है। इस लेख में इन्हीं सप्तांगों के महत्व का प्रतिपादन किया गया है।