शà¥à¤°à¥€à¤®à¤¦à¥à¤à¤—वदà¥à¤—ीता à¤à¤µà¤‚ शानà¥à¤¤à¤¿à¤ªà¤°à¥à¤µ में वरà¥à¤£à¤¿à¤¤ विषाद का सà¥à¤µà¤°à¥‚प
अंतरा जीवन à¤à¤²à¤•à¥à¤‚चवार
महाà¤à¤¾à¤°à¤¤ के à¤à¥€à¤·à¥à¤® परà¥à¤µ में शà¥à¤°à¥€à¤•à¥ƒà¤·à¥à¤£à¤¾à¤°à¥à¤œà¥à¤¨ संवाद रूप à¤à¤—वदà¥à¤—ीता और महाà¤à¤¾à¤°à¤¤ का बारहवा शानà¥à¤¤à¤¿à¤ªà¤°à¥à¤µ यह दोनों जà¥à¤žà¤¾à¤¨ की दृषà¥à¤Ÿà¥€ से अतà¥à¤¯à¤‚त शà¥à¤°à¥‡à¤·à¥à¤ है। शà¥à¤°à¥€à¤®à¤¦à¥à¤à¤—वदà¥à¤—ीता और शानà¥à¤¤à¤¿à¤ªà¤°à¥à¤µ इन दोनों की शà¥à¤°à¥‚आत विषाद से ही हà¥à¤ˆ है। विषाद याने शà¥à¤–िनà¥à¤¨à¤¤à¤¾, उदासी, उतà¥à¤¸à¤¾à¤¹à¤¹à¥€à¤¨à¤¤à¤¾à¤¶à¥ और यà¥à¤¦à¥à¤§ के पà¥à¤°à¤¾à¤°à¤‚ठमें रणशà¥à¤° वीर अरà¥à¤œà¥à¤¨ को तथा यà¥à¤¦à¥à¤§ के पशà¥à¤šà¤¾à¤¤à¥ धरà¥à¤®à¤°à¤¾à¤œ यà¥à¤§à¤¿à¤·à¥à¤ िर को इसी तीवà¥à¤° विषाद ने घेरा था। रणà¤à¥‚मीपर यà¥à¤¦à¥à¤§ हेतॠसजà¥à¤œ हà¥à¤†, शतà¥à¤°à¥à¤ªà¤•à¥à¤· के सैनà¥à¤¯ का निरीकà¥à¤·à¤£ करने के लिठदोनों सेनाओं के मधà¥à¤¯ सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ अरà¥à¤œà¥à¤¨ कहता है, यà¥à¤¦à¥à¤§ में सà¥à¤µà¤œà¤¨, गà¥à¤°à¥à¤œà¤¨ व सà¥à¤¹à¥ƒà¤¦à¥à¤œà¤¨ इनको मारने में न ही मà¥à¤à¥‡ कà¥à¤› à¤à¤²à¤¾ पà¥à¤°à¤¤à¥€à¤¤ होता है, न मà¥à¤à¥‡ विजय पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤à¤¿ की इचà¥à¤›à¤¾ है, न राजà¥à¤¯ की, और न ही सà¥à¤– पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤à¤¿ की इचà¥à¤›à¤¾ है। हम à¤à¤• महापाप करने को उदà¥à¤¯à¤¤ हो रहे है, जिसमें à¤à¤• राजà¥à¤¯ के सà¥à¤–à¤à¥‹à¤— के लोठके कारण हम अपने ही संबनà¥à¤§à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ को मारने को तैयार है। कौरव मेरेदà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ सामना न करते हà¥à¤ हाथ में शसà¥à¤¤à¥à¤° लेकर à¤à¥€ मà¥à¤ शसà¥à¤¤à¥à¤°à¤¹à¥€à¤¨ को मारे तो वह à¤à¥€ मेरेलिये अचà¥à¤›à¤¾ है।शॠइसी पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° का विषाद यà¥à¤¦à¥à¤§à¥‹à¤ªà¤°à¤¾à¤¨à¥à¤¤ यà¥à¤§à¤¿à¤·à¥à¤ िर में दिखाई देता है। यà¥à¤§à¤¿à¤·à¥à¤ िर कहता है इस सारी पृथà¥à¤µà¥€à¤ªà¤° विजय पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ हà¥à¤ˆ है, परनà¥à¤¤à¥ मेरे हृदय में निरनà¥à¤¤à¤° यह महानॠदà¥à¤ƒà¤– बना रहता है कि मैंने लोà¤à¤µà¤¶ अपने बनà¥à¤§à¥ बानà¥à¤§à¤µà¥‹à¤‚ का महानॠसंहार करा डाला। यह विजय à¤à¥€ मà¥à¤à¥‡ पराजय सी जान पड़ती है। आतà¥à¤®à¥€à¤¯ जनों को मारकर सà¥à¤µà¤¯à¤‚ ही अपनी हतà¥à¤¯à¤¾ करके हम कौनसा धरà¥à¤® का फल पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ करेंगे? कà¥à¤·à¤¤à¥à¤°à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के आचार, बल, पà¥à¤°à¥à¤·à¤¾à¤°à¥à¤¥ और अमरà¥à¤·à¤•à¥‹ धिकà¥à¤•à¤¾à¤° है! जिनके कारण हम à¤à¤¸à¥€ विपतà¥à¤¤à¤¿à¤®à¥‡à¤‚ पड़ गये। हमलोग तो लोठऔर मोह के कारण राजà¥à¤¯à¤²à¤¾à¤à¤•à¥‡ सà¥à¤–का अनà¥à¤à¤µ करनेकी इचà¥à¤›à¤¾à¤¸à¥‡ दमà¥à¤ और अà¤à¤¿à¤®à¤¾à¤¨ का आशà¥à¤°à¤¯ लेकर इस दà¥à¤°à¥à¤¦à¤¶à¤¾à¤®à¥‡à¤‚ फà¤à¤¸ गये हैं। जिसका पà¥à¤°à¤¾à¤¯à¤¶à¥à¤šà¤¿à¤¤à¥à¤¤à¤¸à¥‡ अनà¥à¤¤ नहीं हो सकता, अतः हमें निसà¥à¤¸à¤‚देह नरकमें ही गिरना पड़ेगा। इसपà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° अतà¥à¤¯à¤‚त शोक करनेवाले यà¥à¤§à¤¿à¤·à¥à¤ िर ने बताया की मैं राजà¥à¤¯ का सà¥à¤µà¥€à¤•à¤¾à¤° नही करूंगा और वनमें संनà¥à¤¯à¤¾à¤¸à¥€ वृतà¥à¤¤à¤¿ धारण कर, शरीर को कà¥à¤·à¥€à¤£ करते हà¥à¤ समय वà¥à¤¯à¤¤à¥€à¤¤ करूंगा।शॠवासà¥à¤¤à¤µà¤¿à¤• रूप से शà¥à¤°à¥€à¤•à¥ƒà¤·à¥à¤£ की साहायà¥à¤¯à¤¤à¤¾ से होनेवाला यह धरà¥à¤® के लिये शà¥à¤§à¤°à¥à¤®à¤¯à¥à¤¦à¥à¤§à¤¶à¥ है। किनà¥à¤¤à¥ विकारों के अधीन हà¥à¤ शà¥à¤°à¥‡à¤·à¥à¤ धनà¥à¤°à¥à¤§à¤° अरà¥à¤œà¥à¤¨ और धरà¥à¤®à¤°à¤¾à¤œ यà¥à¤§à¤¿à¤·à¥à¤ िर इन दोनों में विषाद उतà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ हà¥à¤† है। सà¥à¤µà¤œà¤¨à¤¾à¤¸à¤•à¥à¤¤à¥€ के कारण, शà¥à¤®à¥ˆà¤‚ अपने जà¥à¤žà¤¾à¤¤à¥€à¤“ं का वध करूंगा या मैंने अपने जà¥à¤žà¤¾à¤¤à¥€à¤“ं का वध कियाशà¥, शà¥à¤²à¥‹à¤— कà¥à¤¯à¤¾ कहेंगे? और इस पापाचरणसे अधोगतिशà¥, इसपà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° के असंखà¥à¤¯ विचारों से, करà¥à¤® से निवृतà¥à¤¤à¤¿ की ओर अरà¥à¤œà¥à¤¨ और यà¥à¤§à¤¿à¤·à¥à¤ िर गये हैं। सà¥à¤µà¤œà¤¨à¤¾à¤¸à¤•à¥à¤¤à¥€ यह दोनों के विषाद का मूल होते हà¥à¤ à¤à¥€, कहीं पर सूकà¥à¤·à¥à¤® रूप से संजय के वकà¥à¤¤à¤µà¥à¤¯ का पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µ अरà¥à¤œà¥à¤¨ और यà¥à¤§à¤¿à¤·à¥à¤ िर के विचारों में à¤à¤¾à¤¸à¤¿à¤¤ होता है। इस निबंध में दोनों के विषाद का सà¥à¤µà¤°à¥‚प, उसके कारण और à¤à¥‡à¤¦ इनपर पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ डालने का पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤¸ किया गया है। अरà¥à¤œà¥à¤¨ तथा यà¥à¤§à¤¿à¤·à¥à¤ िर के विषाद के समान हर à¤à¤• मनà¥à¤·à¥à¤¯ को कà¤à¥€ ना कà¤à¥€ विषाद का सामना करना पडता है, उससमय हम इन दोनों गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥à¥‹à¤‚ के जà¥à¤žà¤¾à¤¨ से इस विषाद को पार कर सकते है।
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अंतरा जीवन à¤à¤²à¤•à¥à¤‚चवार. शà¥à¤°à¥€à¤®à¤¦à¥à¤à¤—वदà¥à¤—ीता à¤à¤µà¤‚ शानà¥à¤¤à¤¿à¤ªà¤°à¥à¤µ में वरà¥à¤£à¤¿à¤¤ विषाद का सà¥à¤µà¤°à¥‚प. Int J Sanskrit Res 2015;1(5):11-13.