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International Journal of Sanskrit Research
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International Journal of Sanskrit Research

2018, Vol. 4, Issue 1, Part A

श्री अरविन्द के आलोक में काव्यात्मा और आध्यात्मिक कविता का स्वरूप

डाॅ0 अरविन्द कुमार सिंह

श्री अरविन्द का काव्यात्म-विमर्श आध्यात्मिक दृष्टि से ग्रहण करने योग्य है। आध्यात्मिक दृष्टि का प्रतिपादन साहित्य में केवल श्रीअरविन्द ने ही नहीं किया है बल्कि इनके अतिरिक्त भी अनेक साहित्यिक मनीषियों ने इस तŸव की प्रतिष्ठा साहित्य के माध्यम से की है। मध्य युग का सम्पूर्ण भक्ति साहित्य आध्यात्मिकता से ओत-प्रोत है। यद्यपि वहाँ यह आध्यात्मिकता धार्मिक कलेवर के साथ अभिव्यक्त हुई है, किन्तु जयदेव, सूरदास और आधुनिक युग के महान कवि रविन्द्रनाथ टैगोर के साहित्य में इसे अपने शुद्ध दार्शनिक और आध्यात्मिक रूप में देखा जा सकता है। श्री अरविन्द स्वयं कवि, योगी और दार्शनिक होने के कारण काव्य की उच्चस्तरीय प्रतिभा से सम्पन्न थे। जिसका वह आध्यात्मिक और रहस्यवादी काव्य के रूप में प्रतिपादन करते हैं। काव्य की आत्मा के रूप में इसी विमर्श को श्री अरविन्द की दृष्टि से प्रस्तुत लेख में विवेचित करने का प्रयास किया गया है।
Pages : 30-33 | 1021 Views | 92 Downloads
How to cite this article:
डाॅ0 अरविन्द कुमार सिंह. श्री अरविन्द के आलोक में काव्यात्मा और आध्यात्मिक कविता का स्वरूप. Int J Sanskrit Res 2018;4(1):30-33.

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